फेयरी क्वीन: |
1855, वर्ष, जब राजसी फेयरी क्वीन भूतपूर्व पूर्व भारतीय रेल के लिए तैयार की गई थी। 1908 के बाद पहली बार, फेयरी क्वीन को 1 फ़रवरी 1997 को दिल्ली से अलवर के लिए चलाया गया। यह भाप इंजन दुनिया में सबसे पुराना कार्यरत इंजन है । गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी गौरवपुर्ण नाम दर्ज़ करा चुका है और राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार भी प्राप्त कर चुका है , यह प्रतिष्ठित प्राचीन सुंदरी राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली, को फिर से गौरव प्रदान कर रही है। |
डेक्कन ओडिसी : |
कोंकण रूट पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष ट्रेन को पैलेस ऑन व्हील्स का प्रतिरूप दिया गया है। यह मार्ग मुंबई (बम्बई) में शुरू होता है और रत्नागिरि, सिंधुदुर्ग, गोवा, बेलगाम, कोल्हापुर, पुणे, नासिक, औरंगाबाद, और अजंता-एलोरा की यात्रा,के बाद फिर वापस मुंबई के लिये चल पड़ता है। यह महाराष्ट्र सरकार और रेल मंत्रालय, भारत सरकार , भारतीय रेल का एक उपक्रम है। यह ट्रेन पर्यटन स्थलों को जोड़ने के अलावा,इसका लक्ष्य पहियों पर एक पूर्ण 5-सितारा होटल, के साथ दो रेस्तरां और एक बार, एक सौना,व्यापार केंद्र और अन्य ऐसी सुविधाओं को सफर के दौरान प्रदान करती है। 2004 में, महाराष्ट्र सरकार, खराब प्रतिक्रिया के कारण डेक्कन ओडिसी को चलाना बंद कर दिया था, लेकिन इसे 2005 मानसून के बाद पुनः आरंभ किया जा सकता हैं। |
हेरिटेज आन व्हील्स : |
हेरिटेज आन व्हील्स भारतीय रेल द्वारा पर्यटकों को भारतीय संस्कृति के करीब लाने के लिए एक और पहल है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम, के साथ मिलकर भारतीय रेलवे ने इस लक्जरी पर्यटक रेलगाड़ी को शुरू किया है। |
पैलेस आन व्हील्स : |
पैलेस आन व्हील्स भारतीय रेल की चार लक्जरी गाड़ियों में सबसे पहला था। राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसको शुरू किया गया है और आरम्भ से ही बहुत लोकप्रिय है। यह दुनिया में शीर्ष दस लक्जरी गाड़ियों में एक है और उसकी सफलता के बाद उसी परिपथ पर एक और लक्जरी ट्रेन शुरू की जा रही है। पैलेस आन व्हील्स की अवधारणा को शाही डिब्बों की पृष्ठभूमि से प्राप्त किया गया,जो मूलत तत्कालीन शासकों जैसे राजपूताना एवम गुजरात के राजसी राज्यों, हैदराबाद के निजाम और ब्रिटिश भारत के वाइसराय की व्यक्तिगत रेल डिब्बें होते थें। |
महापरीनिर्वान स्पेशल एक्सप्रेस : |
महापरीनिर्वान एक्सप्रेस एक विशेष पर्यटक ट्रेन है जो बौद्ध भारत में यात्रियों को एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है, जहां बौद्ध धर्म उद्भव 2500 से भी अधिक वर्ष पहले हुआ था। महापरीनिर्वान एक्सप्रेस भारतीय रेल द्वारा राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन के वाहन का उपयोग करके चलाया जा रहा है। यह एक पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन है जिसमें यात्रा के तीन अलग अलग वर्ग उपस्थित हैं (प्रथम श्रेणी, द्वितीय स्तरीय, और तृतीय स्तरीय)। यह दिखवा से दूर और भारत की अन्य लक्जरी पर्यटक गाड़ियों से भिन्न है। लेकिन फिर भी तीर्थों में सामान्य रूप से विलासिता से जुड़े नहीं हैं! यात्रियों को फूलों के हार के साथ सत्कार, सामान ले जाने की सहायता भी उपलब्ध कराया जाता है, और स्वागत के समय उपहार के रुप में बौद्ध गाइडबुक दिया जाता है। सुरक्षा गार्ड भी ट्रेन पर उपस्थित होते हैं और पर्यटन को पूरी तरह निर्देशित किया जाता हैं। |
गोल्ड्न चेरिअत : |
गोल्ड्न चेरिअत एक लक्जरी पर्यटक ट्रेन है जो भारतीय राज्यों जैसे कर्नाटक और गोवा के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ता है। इसका नाम हम्पी में विट्ठ्ल मंदिर के स्टोन चेरिअत के नाम पर रखा गया है। ट्रेन के 19 डिब्बे बैंगनी और स्वर्ण रंग से रंगे गये हैं और पौराणिक जन्तु के साथ हाथी के सिर और शेर की शरीर के प्रतीक चिह्न को अंकुरित किया गया है। गोल्ड्न चेरिअत साप्ताहिक संचालित होती है और इसने 10 मार्च, 2008 को अपनी पहली व्यावसायिक यात्रा प्रारंभ की थी। |